ई – दिशानिर्देश

जय मानस !!!

२७ फाल्गुन २०७४, आईतवार
जय मानस !!!

–जयानन्द परमहंस

हमरो धन वैभव “मानस” यो
मुख लग्ग छ धेक त चानस यो ।
षुण हो ! षुण झट्ट द झट्ट गिनाइ
भज “मानस” उत्तिम नाम छिनाइ ।।
।।१।।
इति शुद्द–विशाल छ “मानस” त
न बुजी इ कुड़ा अवरोध छ द ! ।
इथ जर्म लिई पन “मान्स” त भे
तमु लै हमु लै सप “मानस” थे ।।
।।२।।
उ भुणुन्छ खनी बकबास बड़ी
इतिहास कभै न बुजी न पड़ी ।
हमु सत्य पुरानि गुणी कुरड़ी
“जय मानस” भुण्णु पस्यौं जरुड़ी ।।
।।३।।
न समेट्टु सकन्छ यु खप्तड़ले
न समेट्टि यु सेति रि कालि पन ।
खित डोटि त आज कन्यौलि पर
छ प “मानस” उत्तिम थात धन ।।
।।४।।
किरमुल्लि उजड्डु पसेभटि त
अफनी थलि–थात बिसद्दि कठै ! ।
हम “मानस” थ्यौं अब लै हम छौं
“जय मानस” बोलम आजभटै ।।
।।५।।
(शास्त्रीय छन्द– तोटक, भाषा– मानसी)
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